Why is it hot in summer and cold in winter?

Why is there any place on earth cold or hot
Why is there any place on earth cold or hot

 पृथ्वी पर कोई स्थान क्यों होता है ठंडा या गर्म 

बच्चों, जैसा तुम जानते हो कि पृथ्वी पर कुछ स्थान पूरे वर्ष ठंडे रहते है तो कुछ गम। कुछ स्थान या देशा ऐसे है, जहां पूरे वर्ष मौसम बदलता रहता है, यानी ठंडी और गर्मी एक दूसरे के बाद आते रहते हैं, जैसे कि हमारा देश भारत। 

सामान्य तौर पर सभी जगह का क्लाइमेट, सूरज की गर्मी से निर्धारित होता है। सूर्य की गर्मी ही जमीन, समुद्र और वातावरण को गर्म करती है। सूर्य की गर्मी ही वातावरण में मॉयश्चर या नमी खीचती है, जिससे बारिश संभव होती है। सूरज की गर्मी ही हवा के दबाव में अंतर लाती है, जिससे हवाएं चलती है और सूरज की गर्मी और हवाएं मिलकर समुद्र में तरंग उत्पन्न करती है। इसलिए पृथ्वी पर स्थित किसी खास जगह के क्लाइमेट को समझने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि उस क्षेत्र पर सूरज की गर्मी के प्रभाव को समझा जाए। चूंकि पृथ्वी की सतह अंडाकार है इसलिए सूर्य के गर्म करने का प्रभाव इक्वेटर यानी भूमध्य रेखा पर सबसे अधिक होता है और पोल्स यानी धुवों पर सबसे कम होता है।

दरअसल, इक्वेटर पर सूर्य की किरणें पृथ्वी पर लंबरूप यानी वर्टीकल दिशा में पड़ती है, जबकि इक्वेटर क्षेत्र के ऊपर और नीचे उसकी किरणे आड़ी या एक कोण पर पड़ती है। इसका अर्थ यह हुआ कि इक्वेटर के ऊपर और नीचे के क्षेत्रों यानी टेपरेट जोस में सूर्य की किरणे इक्वेटर क्षेत्र यानी ट्रॉपिकल जोन की तुलना में कम पड़ती है। पृथ्वी के जो क्षेत्र इक्वेटर से अधिक दूर है, वो सबसे कम हीट प्राप्त करते है। क्योंकि जब सूर्य की किरण पृथ्वी पर एक कोण से पड़ती है तो वो अधिक वातावरण से गुजरती है। इससे कुछ हीट को हवा अपने अंदर समा लेती है, जिससे इक्वेटर से दूर के क्षेत्र में कम गर्मी होती है। इसीलिए इक्वेटर का क्षेत्र पृथ्वी पर सबसे गर्म होता है। 

हालांकि कुछ अन्य कारक भी होते है, जो पृथ्वी के किसी क्षेत्र की गर्मी को निर्धारित करते हैं। इन कारकों में पानी, जमीन और ऊंचाई शामिल है।


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