विश्व जल दिवस जो पानी का मोल न समझे, सबसे बड़ा अनाड़ी है

पानी का मोल

पानी का मोल

गर्मी बहुत तेज हो रही थी। मम्मी ने आते ही पंखा चलाया। तभी साहिल दौड़ा-दौड़ा आया और मम्मी से लिपट गया। मम्मी ने उसके सिर पर हाथ फेरते हुए पूछा, 'क्या बात है बेटा? आज बहुत खुश नजर आ रहे हो।' साहिल चहकते हुए बोला, 'मम्मी, बात ही कुछ ऐसी है। आज मैंने अपने दोस्तों के साथ खूब मस्ती की।' 'कैसी मस्ती...?' मम्मी चौंकीं। 'अपने लॉन वाले नल में जो पाइप लगा हुआ है, वह काफी लंबा है।

 उस पाइप से हम चारों दोस्तों ने एक-दूसरे पर खूब पानी उछाला। बहुत मजा आया। हम एक घंटे तक नहाते रहे। बिल्कुल बरसात वाली फीलिंग आ रही थी।' साहिल ने देखा उसकी बात सुनकर मम्मी जरा भी खुश नहीं हुई। वह बोलीं, 'बेटा, तुम्हें पता है कि मैं सुबह उठकर जिस गांव में पढ़ाने के लिए जाती हूं, वहां पानी की बहुत कमी है। उस गांव की बहुतसी बच्चियां स्कूल सिर्फ इसलिए नहीं आ पातीं, क्योंकि उन्हें सुबह उठकर कई किलोमीटर पैदल चलकर कुएं से पानी निकाल कर लाना होता है। एक मटका पानी उनके लिए बहुत कीमती होता है।

तुम देख रहे हो गर्मी कितनी पड़ रही है। इस तपती धूप में इतनी दूर पैदल जाकर पानी लाना कितना मुश्किल काम होता है। ऐसे में यदि हम सिर्फ अपने मजे के लिए एक घंटे तक पानी बहाएं तो यह गलत बात है। यहां शहर में भी पानी के लिए लंबी कतारें लगी रहती हैं, घंटों लाइन में लगने के बाद एक बाल्टी पानी नसीब होता है। गांव के लोग भी कोसों दूर पानी भरने जाते हैं और तुम हो कि पानी की इस तरह बर्बादी करते हो।' साहिल अपने दोनों कान पकड़ते हुए बोला, 'सॉरी मम्मी, मैं भूल गया था कि जल ही जीवन है।' मम्मी आगे बोलीं, 'बेटा, क्या तुम जानते हो कि हमारी धरती पर उपलब्ध पानी की अधिकांश मात्रा खारे पानी की है। बहुत कम पानी पीने योग्य है।

बारिश की कमी और औद्योगीकरण ने मुसीबतों को और बढ़ा दिया है। ऐसे में यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम पानी को व्यर्थ न बहाएं। तुमने यह कहते सुना होगा कि तीसरा विश्व युद्ध पानी के लिए लड़ा जाएगा। इस बात से तुम स्थिति की गंभीरता को समझ लो।' तभी वहां दादी आ गईं, वह बोलीं, 'मैंने इसे पानी की बर्बादी के लिए बहुत रोका था, लेकिन इसने मेरी बात सुनी ही नहीं।' साहिल तुरंत बोला, 'सॉरी दादी, अब से मैं ऐसा कभी नहीं करूंगा।' दादी भी साहिल को पानी का मोल समझाते हुए बोलीं, 'बेटा, हमने भी वह दौर देखा है, जब नाम मात्र के पानी से हमें नहाना पड़ता था, कपड़े धोने होते थे। हम कुएं और हैंडपंप से पानी लाने के लिए कई मील का सफर तय करते थे।

धीरे-धीरे जब देश का विकास हुआ, पानी की सप्लाई घरों तक होने लगी, तब कुछ आराम मिला। लेकिन आज भी बहुत सारे इलाके ऐसे हैं, जहां पानी आसानी से उपलब्ध नहीं है। साहिल एकाएक गंभीर हो गया, बोला, 'दादी, मैं आपकी बात समझ गया और पानी का मोल भी। अब मैं कभी भी पानी बर्बाद नहीं करूंगा और जो पानी बर्बाद करेंगे, उन्हें भी ऐसा करने से रोकूँगा।' साहिल पानी की कीमत को समझ गया था, यह जानकर मम्मी और दादी दोनों को संतोष हुआ। अब दोनों के चेहरे पर उदासी नहीं, मुस्कान थी।

गुनगुना पानी पीने के फायदे gunguna pani peene ke fayde
गुनगुना पानी पीने के फायदे

गुनगुना पानी पीने के फायदे (gunguna pani peene ke fayde)

गुनगुना पानी सेहत के लिए फायदेमंद गुनगुना पानी बच्चों,तुमने टीवी पर सुना होगा कि कोरोना महामारी से बचने के लिए हमें अपनी इम्यूनिटी को मजबूत करना जरूरी है। इसके लिए डॉक्टर पानी को गुनगुना करके पीने और गुनगुने पानी से गरारा करने की सलाह भी देते है। इससे पता चलता है कि हमारे जीवन में पानी का बहुत महत्व है। पानी सिर्फ जीने के लिए ही जरूरी नहीं है बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद है। बच्चों, पानी को गुनगुना करके पीने के कई फायदे है। जैसे- गुनगुना पानी पीने से कई गंभीर बीमारियों से बचाव होता है। गुनगुना पानी त्वचा को निखारता है। त्वचा संबंधी कोई भी बीमारी हो तो गुनगुने पानी से नहाना बहुत फायदेमंद होता है। गुनगुना पानी पीने से थकान भी उतर जाती है। बॉडी का ब्लड सर्कुलेशन दुरुस्त रहता है। जहां किडनी के लिए ठंडा पानी हानिकारक होता है, वहीं गुनगुना पानी पीने से गुर्दे स्वस्थ रहते है। गुनगुना पानी शरीर में जमी हुई गदगी को बाहर निकालने में मदद करता है। गुनगुना पानी में नीबू का रस डालकर पीने से प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

पानी कैसे होता है शुद्ध (how to filter water at home)

पानी कैसे होता है शुद्ध ? , तुम सोचते होगे कि हमें पानी प्रकृति में  जैसा मिलता है, हम उसे वैसा ही क्यों नहीं ॥ सकते है? दरअसल, पानी का सबसे शुद्ध रूप प्राकृतिक स्रोत बर्फ (स्नो) है। इसके बाद बारिश का पानी है, लेकिन बारिश के पानी में क्लोराइइस, अमोनिया, सल्फेट्स, नाइट्रेट्स और कार्बन डाइऑक्साइड जैसी गैस मिश्रित होती है। झरने और झील. जो पहाड़ों में मिलते है, उनमें भी अकार्बनिक लवण (इन आ निक साल्ट्स) घुले हो सकते है। हालांकि जो पानी चटमों और कुओं से मिलता है, उसे जमीन फिल्टर कर देती है। इसलिए वह काफी शुद्ध होता है, लेकिन उसमें भी अकार्बनिक लवण हो सकते है। इसका अर्थ यह हुआ कि हम जो भी पानी पीते हैं, उसे शुद्ध करने की जरूरत होती है। पानी को शुद्ध करने के अनेक तरीके है, जिनमें से सबसे आसान है, भंडारण। जब पानी को किसी चीज में भंडार किया जाता है तो गुरुत्वाकर्षण के कारण पानी में मौजूद भारी तत्व पानी की तल पर बैठ जाते है। इसे अवसादन कहते है। बेहतर अवसादन के लिए पानी में रसायन डाले जाते हैं। साथ ही पानी में से स्वाद, गध और घुली गैसों को बाहर करने के लिए उसे वाष्पित करना होता है। इसके अलावा पानी को रेत से फिल्टर करके अनेक अशुद्धताओं को हटाया जा सकता है।

बूझो तो जानें ?

1:- तीन रूप में पाया जाता, इसकी यही निशानी।
इसके बिन तो जलजीवों की, होती खत्म कहानी |

2:- गर्मी के मौसम में पड़ती, इसकी बहुत जरूरत,
पहचानी जाती है इसकी, ठोस रूप में सूरत।

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