ब्लैक फंगस क्या है ? कैसे करें बचाव ? यह हमारे लिए कितना घातक है ?

देश में कोरोना संक्रमण की चुनौती अभी भी बरकरार है, इसके साथ ही कुछ कोरोना इंफेक्टेड पेटोंट्स में एक नई गंभीर स्वास्थ्य समस्या म्यूकरमायकोसिस सामने आ रही है। समय पर इसका ट्रीटमेंट ना करने से पेशेंट की कंडीशन बिगड़ सकती है। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि इसका रिस्क किन्हें ज्यादा है, इसके आरंभिक लक्षण क्या है, इनसे बचाव और इसके उपचार के क्या तरीके हैं?

ब्लैक फंगस (black fungus)
black fungus (ब्लैक फंगस)

 ब्लैक फंगस या म्यूकरमायकोसिस कोरोना पेशेंट्स रहें अलर्ट

कोरोना की दूसरी लहर से जूझ रहे देश के लोगों के सामने अब एक और गंभीर रोग उपस्थिति दर्ज कराने लगा है, जिसका नाम है- ब्लैक फंगस या म्यूकरमायकोसिस। विशेष रूप से छत्तीसगढ़, गुजरात, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में इसके कई मामले सामने आए हैं। इस बीमारी के आरंभ में रोगी के आंख, गाल और नाक के नीचे लाल पैच दिखने लगता है। इसके अलावा शरीर में दर्द, बुखार, खांसी, सिर दर्द, सांस लेने में दिक्कत, खून की उल्टी, मानसिक स्वास्थ्य पर असर, कमजोर दृष्टि, दांत और सीने में दर्द जैसे लक्षणभी दिख सकते हैं। इसकी गंभीरता को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और आईसीएमआर को एडवाइजरी भी जारी करनी पड़ी, जिसमें बताया गया है कि डायबिटीज के गंभीर रोगियों और अधिक समय तक आईसीयू में एडमिट रहे कोविड पेशेंट्स को इस ब्लैक फंगस से ज्यादा सचेतरहना चाहिए।

  ब्लैक फंगस क्या है ?

म्यूकरमायकोसिस एक फंगल डिजीज है, जो म्यूकरमायसिटीज नाम के फंगस यानी कवक के कारण उत्पन्न होती है। इसका ज्यादातर खतरा उन लोगों को होता है, जो पहले से किसी गंभीर बीमारी जैसे मधुमेह, कैंसर इत्यादि से जूझ रहे हों और उनके शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो। हालांकि यह रोग नया नहीं है, लेकिन कोरोना से इसका संबंध इसलिए ध्यान देने का विषय है क्योंकि कोरोना के मरीजों की भी अंदरूनी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है और इस वजह से यह फंगस उन्हें संक्रमित कर सकता है। 

यह हमारे लिए कितना घातक है ?

ब्लैक फंगस की समस्या को बिल्कुल भी हल्के में नहीं लेना चाहिए क्योंकि इसकी वजह से रोगी अपनी आंखें गंवा सकता है, जबड़ों को नुकसान पहुंच सकता है। इस फंगस का असर शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। समय पर ट्रीटमेंट ना करवाने से यह प्रभावित अंग या हिस्से को सड़ा भी सकता है। यह कितना खतरनाक है, इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि इसके 54% मरीजों की मौत हो जाती है। शरीर में संक्रमण कहां है, उससे मोर्टेलिटी रेट, बढ़ या घट सकता है। 

नई नहीं है बीमारी

ऐसा नहीं है कि ब्लैक फंगस आज अचानक से आई बीमारी हो। यह पहले भी होती थी लेकिन इसके मामले बहुत कम देखने को मिलते थे। इस फंगस के स्पोर्स यानी सूक्ष्म कण वातावरण में कहीं भी रह सकते हैं। खासतौर पर जमीन और सड़ने वाले ऑर्गेनिक पदार्थों में, जैसे पत्तियों, सड़ी लकड़ी और कंपोस्ट खाद में यह फंगस पाया जाता है। लोगों के शरीर में यह जले-कटे हिस्सों, घाव या फिर सांस के माध्यम से भी प्रवेश कर सकता है। यह संक्रमण नाक और गले से शुरू होता है, लेकिन जल्दी ही आंखों, मस्तिष्क और पूरे शरीर में फैल सकता है। शीघ्र उपचार न मिलने पर मल्टीपल ऑर्गन फेल्योर हो सकता है। सिर तक पहुंच जाए तो ब्रेन ट्यूमर होने का भी डर होता है।

 कैसे करें बचाव 

अगर आप कोरोना या किसी अन्य गंभीर बीमारी का उपचार करा रहे हैं या दवा के रूप में स्टेरॉयड्स ले रहे हैं तो अपना विशेष ख्याल रखिए। ब्लैक फंगस के जरा भी लक्षण महसूस हों तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। चेहरे का एक तरफ से सूज जाना, सिरदर्द, नाक बंद होना, उल्टी, बुखार, चेस्ट पेन, साइनस कंजेशन, मुंह के ऊपर हिस्से या नाक में काले घाव जैसे कोई भी लक्षण दिखें तो सावधान हो जाइए। पानी जमा होने वाली जगहों जैसे कंस्ट्रक्शन साइट्स, दलदली इलाकों, खेत या ऐसे स्थानों पर जहां सड़ीगली चीजें हों, पर जाने से बचें। यदि ऐसी जगह जाएं तो फुल स्लीव ड्रेस, ग्लब्ज और मास्क पहन कर ही जाएं। अगर आप कोरोना से रिकवर हो चुके हों, तब भी अपना रेग्युलर चेकअप कराते रहें, ताकि ब्लैक फंगस के किसी भी आरंभिक संक्रमण का पता चल सके। ऐसे कोरोना पेशेंट जो डायबिटिक भी हैं, उन्हें अपनी शुगर लेवल को कंट्रोल रखना जरूरी है क्योंकि उन्हें ब्लैक फंगस के इंफेक्शन का रिस्क ज्यादा है। इसके अलावा अपनी अप्रोच, पॉजिटिव रखें। यह संक्रमण कम्युनिकेबल डिजीज नहीं है, यानी यह एक से दूसरे इंसान में नहीं फैलता। अतः घबराएं नहीं लेकिन पूरी सावधानी बरतें। 

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