Oceanus Facts (समुद्र की दुनिया) |
समुद्र की दुनिया - अभी भी है भी ऐसे कई राज छिपे हैं जिनसे मानव अनजान है
पृथ्वी के एक बड़े हिस्से पर समुद्र (ocean) फैले हैं। समुद्र (ocean) करोड़ों लोगों को भोजन उपलब्ध कराते हैं। हर साल पांच अप्रैल को राष्ट्रीय समुद्री दिवस मनाया जाता है। इस दिन भारतीय समुद्री क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले लोगों को वरुण प्रतिष्ठित से नवाजा जाता है। समुद्रों में तकरीबन दो लाख तरह के जीव, दुर्लभ पौधे आदि मौजूद हैं। समुद्र व्हेल, कंक, कई प्रकार की मछलियों, समुद्री तट, रेंगने वाले कीड़ों के ठिकाने भी हैं। आँखें से भरे इस जहान में जहाँ विशालकाय व्हेल है तो आँखों से न दिखने वाले हजारों जीव भी हैं।
यानी समुद्र (ocean) की दुनिया एक अलग दुनिया है। समुद्र के बारे में तो यहां तक कहते हैं कि इंसानों ने अब तक इस पानी की दुनिया का केवल पांच फीसद हिस्सा ही जाना है। यानी इस दुनिया में ऐसे कई राज छिपे हैं जिनसे मानव अनजान है।
समुद्रों के अंदर कई पर्वतनुमा क्षेत्र भी हैं। ये छोटे-छोटे पर्वतनुमा पहाड़ एक से तीन किलोमीटर दूर फैले हैं। कुछ पानी के अंदर तो कुछ पानी के बाहर। जो पानी को चीरकर बाहर निकल जाते हैं उन्हें द्वीप (The island) कहते हैं। हाल के रिसर्च पेपरों में यह बात जोरशोर से कही जा रही है कि समुद्र का शोर जलीय जीवों को बीमार कर रहा है। ऐसे में हमें व्यक्तिगत तौर पर मतदान करने का प्रयास करना चाहिए। हमें इसके लिए जागरूकता भी फैलानी चाहिए। अकेले समुद्री जहाजों से पिछले 20 वर्षों में ध्वनि प्रदूषण में 50 फीसद की वृद्धि हुई है। वैज्ञानिकों के अनुसार मालवाहक पोट्स से समुद्र में 190 डेसिबल तक का शोर पैदा होता है।इस आवाज की तेजी को इस तरह समझ सकते हैं-जैसे किसी अंतरिक्ष यात्री की लॉन्चिंग हो रही है। समुद्री विज्ञानियों के मुताबिक समुद्र के अंदर का ध्वनि प्रदूषण हजार घावों के साथ मरने के बराबर है। इसके जलीय जीवों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। हवा की तुलना में शोर पानी में बहुत तेजी से दूर तक जाता है।
तो सोचिए समुद्र के भीतर रहने वाले छोटे-बड़े जीवों पर इस ध्वनि प्रदूषण का कितना विपरीत प्रभाव पड़ता है। ज्ञात रहे मानव जीवन की संरचना जल के भीतर स्थित जीवों से भी अटूट संबंध रखती है। अभी तक पानी के अंदर ध्वनि प्रदूषण को इतना तवज्जो नहीं दी गई थी, ध्यान अब कई विज्ञानियों का ध्यान इस ओर जाने लगा है।जब को विभाजित की वजह से गत वर्ष मार्च-अप्रैल के दौरान देश-दुनिया में लॉकडाउन लगा था तब ध्वनि प्रदूषण कम हो जाने से समुद्री जीवों के जीवन में व्यापक बदलाव आया था। ज्ञात हो कि यदि कानफोडू शोर होता है तो समुद्री जीव अच्छी तरह नहीं जी पाते हैं। इसी ध्वनि प्रदूषण के कारण डॉल्फिन की सुनने की क्षमता 26 फीसद और व्हेल की 58 फीसद घट गई है। यह हमारे लिए एक चिंता का विषय होना चाहिए।
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